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31 अक्टूबर, 2025
इनको साधुवाद और अभिनंदन जो प्रमाण प्रस्तुत किए
बहुत दिनों से विवाद चल रहा है की हनुमान चालीसा क्या हम गलत पढ़ रहे या
सही क्या है , मूल पाठ क्या है इत्यादि , तो आज इन सब अफवाहों पर विराम लगते हुआ यह प्रमाण प्रस्तुत है सुविख्यात youtuber के veducation चैनल द्वारा
श्रीमान नित्यानंद मिश्र जी इस बार पक्षपात कर रहे हैं, इनकी और श्री रामभद्राचार्य जी की , दोनों का मैं सम्मान करता हूं लेकिन जो सच है वो सच ही है, मिश्रा जी 50-60-80 वर्ष से पुराने की पांडुलिपि की बात न ही कर रहे और न देखना उचित समझा,तुलसी दास जी ने जितने पहले रचना किया उसकी तुलना में 100 वर्ष भी कुछ भी नहीं,गीताप्रेस जैसी प्रतिष्ठित प्रकाशक जो हनुमान प्रसाद पोद्दार जयदयाल गोयन्दका राधा बाबा जैसे सभी ब्रह्मलीन महापुरुषों के संरक्षण में हो,जिन्हें भगवान का साक्षात्कार था,वह कभी ऐसी मूर्खतापूर्ण त्रुटि नहीं करेंगे,गीता प्रेस ने तो वेदों के प्रमाणिक पांडुलिपि न होने के स्थिति में उसे प्रकाशित ही नहीं किया,तो हनुमान चालीसा में त्रुटि का सवाल ही नहीं हो सकता,बमुश्किल कुछ पांडुलिपि में अलग पाठ होने से वह पाठ तुलसीदास जी का नहीं हो जाता , हा श्री गुरुदेव का या कोई अन्य संत का खुद का रचित चालीसा उसे जरूर कहा जा सकता है जिसको तुलसीदास जी की तरह वह भी शक्तिपात कर सकते हैं, परंतु तुलसीदास कृत मूल पाठ तो वही है जो सर्वदा से था है और रहेगा,देश में कुछ अपवाद को छोड़ हर घर में भी पाठ होती है जो गीताप्रेस द्वारा प्रकाशित मूल पाठ है।